AI मानवता को नष्ट कर देगा ?
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Open AI दुनिया का सबसे क़ीमती स्टार्ट अप है.इसने पिछले साल ChatGPT को लाँच किया है. इस कंपनी का क़ीमत 86 बिलियन अमेरिकी डॉलर है यानी 72 लाख करोड़ रुपये. भारत के शेयर बाज़ार में दस क़ीमती कंपनियों (जैसे रिलायंस, TCS, HDFC, हिंदुस्तान लीवर) का जोड़ इसके बराबर बैठता है. पिछले हफ़्ते Open AI के बोर्ड ने CEO सैम अल्टमैन को निकाल दिया.कंपनी में कर्मचारियों ने बग़ावत कर दी. फिर सबसे बड़े शेयर होल्डर माइक्रोसॉफ़्ट ने दबाव बनाया. काफ़ी नाटक हुआ. सैम अल्टमैन फिर CEO बन गए. उनको निकालने वाले बोर्ड को ही निकाल दिया गया. इस घटनाक्रम के बाद आर्टिफिशयल इंटेलिजेंस (AI) की दुनिया बदल जाएगी. हिसाब किताब में इस बार चर्चा AI के बारे में
AI को लेकर दो विचार हैं. पहला विचार कहता है कि यह दुनिया में क्रांति लाने वाला आइडिया है जैसे भाँप का इंजन, बिजली, पर्सनल कंप्यूटर या इंटरनेट ने हमारी दुनिया बदल दी.पिछले साल भर में हमें इसकी झलक मिली है ChatGPT से. यह हमारी तरह या हमसे बेहतर लिख सकता है. दुनिया की लगभग हर जानकारी इसके पास है जिसे प्रोसेस कर कुछ पलों में जवाब मिल जाता है. ये कम्प्यूटर कोड लिख सकता है. इससे नौकरी जाने का ख़तरा है. इस विचार के समर्थक कहते हैं कि AI हमें बाक़ी चीज़ों के लिए फ़्री कर देगा. जीवन बेहतर होगा.
दूसरा विचार AI को लेकर आशंकित हैं. यह विचार कहता है कि AI मानवता को ख़त्म कर सकता है. इसके डेवलपमेंट में सोच समझ कर आगे बढ़ना चाहिए. इसी विचार ने Open AI को 2015 में नॉन प्रॉफिट कंपनी बनाया था. इसका उद्देश्य प्रॉफिट कमाना नहीं था, AI का उपयोग मानवता की भलाई के लिए करना था. कंपनी के बोर्ड के मेंबर इसी विचार के समर्थक थे. सैम अल्टमैन कंपनी के फाउंडर है पर बोर्ड के इन विचारों से सहमत नहीं थे. 2019 में उन्होंने प्रॉफिट का रास्ता चुना. माइक्रोसॉफ़्ट ने इन्वेस्टमेंट किया . बोर्ड अपनी जगह बना रहा. पिछले साल ChatGPT के लाँच ने अल्टमैन को सुपर स्टार बना दिया. वो कमर्शियल इस्तेमाल के रास्ते पर तेज़ी से बढ़ना चाहते थे. बोर्ड से इसी बात पर टकराव हुआ. अल्टमैन की जीत हुई. न्यूयार्क टाइम्स ने हेडलाइन दी कि AI now belongs to capitalists यानी AI पर अब पूँजीवादियों का क़ब्ज़ा हो गया है.
सैम अल्टमैन को निकालते समय बोर्ड ने कहा था कि वो हमसे कुछ बातें छिपा रहे थे. अभी तक साफ़ नहीं है कि वो क्या छिपा रहे थे. रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक़ Open AI ने Q* ( Q Star) प्रोजेक्ट बना लिया है. ये AI यानी आर्टिफिशयल इंटेलिजेंस का अगला चरण है. इसे AGI यानी आर्टिफिशयल जनरल इंटेलिजेंस कहते हैं. Open AI के मुताबिक़ AGI वो ज़्यादातर काम कर लेगा जो मानव कर सकता है. वो मानव की तरह सोच सकता है. AI को ट्रेनिंग देनी पड़ती है. वो वही काम या जवाब दे सकता है जिसकी ट्रेनिंग मिली है जबकि AGI ख़ुद भी सीख सकता है. इसीलिए मानवता के लिए ख़तरा माना जा रहा है. क्या होगा यदि मशीन ने तय कर लिया कि मानवता को नष्ट कर देना है? अभी इसका कोई जवाब नहीं है. इतना ज़रूर कह सकते हैं कि AI पर सतर्कता बरतने वाले विचार की हार हो गई है.
( ये इकनॉमी और बिज़नेस को समझने-समझाने की कोशिश है . हर रविवार सुबह दस बजे हिसाब किताब छपता है . यहाँ छपे विचार मेरे अपने है और इंडिया टुडे ग्रुप से इसका कोई लेना देना नहीं है)


